Public Police Relationship
SEMINAR
INDIAN POLICE DURING 50 YEARS OF OUR INDEPENDENCE:AND INTROSPECTION
Organized by :- Chandigarh Police B.P.R. & D., P.O.I.
Avtar Singh
All India Crime Prevention Society Chd
National President & Chief
Executive President Board Of Governor
पुलिस और समाज
क्या आप कभी थाने में गये हैं I आप कहेंगे होश की दवाकर मियां भगवान ना करे कि थाने का मुँह देखना या तोआप भुक्त भोगी होंगे I या भयावना नाम सुन कर आपचौंक गए होंगे I आखिर ऐसा क्यों ? पुलिस वाले भीह मारी तरह आदमी हैं उनका भी परिवार है उनके भी बाल -बच्चे हैं उनकी भी नौकरी है हाँ यह उनकी विडंबना है कि वह समाज मैं घुल मिल नहीं पाते, उनकी सेवाओं की कोई कीमत नहीं I पता नहीं की घर आ पाएंगे या नहीं , दस घण्टे की ड्यूटी हो या 24 घण्टे की सारा दिन अदालत से लेकर समाज के विभिन्न वर्गों से मुलाकात उनकी समस्यों का निपटारा कागजी खानापूर्ति इन सबसे बेहाल परेशान काम का बोझ इसके बावजूद समाजिक तिरस्कार को सहन करती हमारे देश की पुलिस, पुलिस का नाम लेते ही आम आदमी परेशान हो जाता है मेरे साथ क्या बीतेगी I थाने मैं जाकर पीटा जाऊंगा, गालियाँ भी सुननी पड़ेगी यह हमारे समाज का नजरिया है कुछ हद तक यह बात सही भी है और नहीं भी पुलिस के विभिन्न विभाग भ्रष्टाचार मिटाने हेतु बने हैं उनका कार्य ही पुलिस को अनुशासन में रखना है I आप उच्च अधिकारियों से सम्पर्क कीजिये उनसे जाकर मिलिए, अपनी समस्या से उन्हें अवगत कराईये पुलिस को अपना हमदर्द समझिए और बेधड़क होकर थाने जाइये I अगर आप एक अपराध छुपाते हैं तो आप समाज से नाइन्साफी कर रहे हैंI
INDIAN POLICE DURING 50 YEARS OF OUR INDEPENDENCE : AND INTROSPECTION Page No:-118 in book